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पारसमणि चतुर्थ एपिसोड

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पारसमणि चतुर्थ एपिसोड

आज फिरसे आपके समक्ष उपस्थित है पारसमणि के नए एपिसोड के साथ , पिछले एपिसोड में महिला सशक्तिकरण के उत्तम प्रेरणा रूप श्रीमती सुशीला जी की जीवनी से हम सब परिचित हुए आज उसी कड़ी में एक और महिला पारसमणि से उनकी जीवनी से साक्षात्कार करते है।

श्रीमती सुन्दर देवी जी गांव झाड़ोल। “बलाईकीछोरी क्यापढेगी?”बचपन में अद्यापक के ताने को अवसर में बदल कर शिक्षा क्षेत्र मेंआप अपनेसमाज की प्रथम महिला है जिनकी नियुक्ति करीब 39 वर्ष पूर्व 29 जनवरी 1982 को हुई। वास्तविक अर्थ में शिक्षा के साथ ही महिलाओ को विभिन्नक्षेत्र में अवसर प्रदान करके उन्हें आत्मनिर्भर बननेके लिए सक्षम बनाना ही सहीमनो में “Women एम्पॉवरमेंट” है।

तो चलिए मित्रो आज उनसे परिचय करते है उन्हीके द्वारा शब्दों में पिरोई गयी ऑटोबायोग्राफी से...

  • नाम:-सुन्दरदेवी सालवी पत्नी श्री रामलालजी सालवी
  • शिक्षा /योग्यता :- 12वी , STC
  • स्थाई निवास:- सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के सामने मु.पो. झाड़ोल तह. सराडा, उदयपुर

मेरा नाम सुन्दरदेवी सालवी हैl मेराजन्म 09.01.1962 को देवपूरा ग्राम में हुआ l मेरे मातापिता का नाम भूरीबाई व्किशनलालजी मारू था, मेरे दादा का नाम रूपलालजी मारूथा उनके चार पुत्र व एक पुत्री थी l विपरीत परिस्थिति यों के बावजूद उन्होंने सभी बच्चोको शिक्षित किया मेरे पिताजी उनके सबसे सबसे बड़े बेटेथे l तथा दुसरे बेटे का नाम कालूलाल मारूथा l दोनों बेटे पेशे से शिक्षक थे l

मेरा नाम सुन्दरदेवी सालवी हैl मेराजन्म 09.01.1962 को देवपूरा ग्राम में हुआ l मेरे मातापिता का नाम भूरीबाई व्किशनलालजी मारू था, मेरे दादा का नाम रूपलालजी मारूथा उनके चार पुत्र व एक पुत्री थी l विपरीत परिस्थिति यों के बावजूद उन्होंने सभी बच्चोको शिक्षित किया मेरे पिताजी उनके सबसे सबसे बड़े बेटेथे l तथा दुसरे बेटे का नाम कालूलाल मारूथा l दोनों बेटे पेशे से शिक्षक थे l

मेरे पिताजी ने समाज के प्रथम शिक्षक बन कर पुरे समाज को गौरवान्वित किया हे। 1954 में प्रथम नियुक्ति डूंगरपुर के पीठ धमबोला गाँव में हुई उन्होंने शिक्षणकार्य के अतिरिक्त लोगों की चिकित्सीय सेवा ओर अंधविश्वासोंको दुर करने के कार्य भी किए l जब उनका स्थानांतरण हुआ गाँववालों ने उन्हें एक गाय भेंटकी ओर देवपुरा गाँव तक छोड़ने भी आये l 1956 में राजपूताना विश्वविद्यालय से उन्होंने हाईस्कूल पासकी वे हिंदी ओर संस्कृत भाषा के विशेषज्ञ थे, उन्हें राष्ट्रभाषा प्रचार प्रसार के लिए वर्धा से प्रमाणपत्र भी मिला l अन्य दोनों पुत्रो भंवरलालजी व्धनेश्वरजी व्पुत्री में भी शिक्षा प्राप्तकी मेरे दादाजी ने स्वय और बच्चो को सदेव नशे की लत से दूर रखा l उन्होंने कभी रिश्वतभी नहीं ली इस कारण उनकी छवि साफ़ सुथरी ओर समाज में प्रतिष्ठा थी l 1968 में Bed प्रशिक्षण प्राप्त करने के कुछ समय पश्चात्ही किसी अस्पताल में ग़लत खून चढ़ानेके कारण असामयिक देहांत हो गया ओर हम दोनो बहनो के सर से पिता का साया उठ गया l पर दादाजी ने हिम्मत नहीं हारी फिर दादाजी ने ही हमारी ज़िम्मेदारी उठाई ओर हम दोनो बहनो को शिक्षा के लिए लगातार प्रेरितभी किया l आज जब सोचती हूँ की दादाजी पर क्या बीती होगी तो मन सिहर उठता है पर वे बहुत मजबूत रहे होंगे l यह उनकी ही हिम्मत थी जो में इतना लम्बा सफर तय कर पाई।

मेरे सास ससुर का नामपूंजीबाई और मगनजी था वे मूलरूपसे बन्दोली गाव के रहने वाले थे l उनकी पारिवारिक स्थिति ज्यादा ठीक नहीं थी l परन्तु उन्होंने रातदिन कठिन परिश्रम से सम्मान प्राप्त किया l अहमदाबाद के विक्रम मिल में नौकरी कीl सलुम्बर में रामदेवजी मंदिर के जीर्णोधार में उन्होने सोने का कलश चढ़ाया और समाज में ख्याति प्राप्तकी फिर उन्हें सभी लोग प्रेम से मगनसेठ के नाम से बुलाते थेl बाद में बंदोलीगाँव में आने जाने की असुविधा होने के कारण उन्होंने झाडोल मे जमीन लेकर मकान व दुकानों का निर्माण करवायाl उस समय लोगों के पास पक्के मकान नहीं हुआ करते थे तो लोग हमारा मकान देखने आतेथेl कुछ समय पच्चात उनकी पत्नी का निधन हो गया प्रथमपत्नी से उन्हें दो पुत्र व एक पुत्री थी बाद में केजडगाव की दोलीबाई दे उन्होंने पून्ह: विवाह किया जिनसे उन्हें दो पुत्र व दो पुत्री हुएl सत्य बोलना और साधारण रहना उनकी विशेषता थी उन्होंने कभी भी नशा नहीं किया l

सन 1978,22nd जून में मेरा विवाह उनके बड़े बेटे श्रीरामलालजी के साथ हुआ, दुसरे बेटे पोपटलालजी का विवाह मेरी बहन गीतादेवी के साथ हुआ l ये प्रारम्भ में अहमदाबाद में जोब करते थे परंतु फिर इन्होंने झाड़ोल में एक प्राइवेट स्कूल कृष्णा एकेडमी संचालित किया प्रारम्भ में यह काफ़ी अच्छा चला परंतु बाद में आर्थिक नुक़सान अधिक होने के कारण इसे बंद करना पडा l पर इन्होंने संयम बनाए रखा बच्चों की परवरिश व शिक्षा के लिए पूर्ण सहयोग कियाl

दूसरे बेटे पोपटलाल जी का विवाह मेरी बहन गीतादेवी के साथ हुआ जो झाड़ोल अस्पताल में नर्स के पद पर कार्यरत है। मेरे पुत्र विनोद ने MA, BEdतक शिक्षा अर्जित की है। वह झाड़ोल गाँव में ही e -मित्र सेंटर चलाता है। तथा सराड़ा पंचायतसमिति सदस्य भी रहा है। पुत्रवधु ममता झाड़ोल में ही पंचायत सहायक अध्यापिकाके पद पर कार्यरत है।पुत्री कृष्णा MA, Bed कर राप्रावी कालीमगरी में शिक्षिका है।पुत्री सुमन BA Bed कर रखी है। तथा सबसे छोटी पुत्री सुरभी ने BA LLB तक शिक्षा प्राप्तकी है।मेरे सभी पुत्रपुत्रियाँ विवाहित है।

मेरी प्रारंभिक शिक्षा देवपुरा गाव में हुई, विवाह के पच्चात 1980 में मेने STC का प्र्चिक्षण लिया जिसमे मुझे प्रेरित करने का श्रेय मेरे अंकल जी भंवरलालजी मारूका हे तथा छोटे - छोटे बहुत सारे सहयोग मेरे अनुज अंकलजी धनेश्वरजी ने किया तथा आर्थिक दृस्टि से मेरे फूफाजी पूंजीलालजी ने मदद की।

एक महत्वपूर्ण घटना मुझे याद आती है। मेरी नियुक्ति होने पर मेरे दादाजी मिठाई लेकर खड़ेथे तबवे अध्यापकजी जो बचपनमें मुझे कहते थे की “बलाई की छोरी क्या पढेगी?” वहीथे l दादाजी को मिठाई बाँटते देख बोले “ये ससुरालजा रही है। क्या?” तब दादाजी बोले “नहीं, ये टीचर बन गई है।“ तब उनका चेहरा देखने लायक़ था, मेने उनके चरण छुएं और उनसे आशीर्वाद लिया l दिनांक 29.01.1982 को प्रथम नियुक्ति पडलागाव में हुई मेने झाडोल, वेजपुर, उदपुरिया, क्षेत्रमें अपनी सेवाएं दी है। वर्तमान मे में वीरपूरा स्कूल में पिछले पाच वर्षसे कार्यरतहु, मेरेसेवा काल का 39 वा वर्ष पूर्ण होने जा रहा है। सेवा का लकी अंतिमतिथि 31.01.2022 है।

मेरा सम्मान मेरे छात्र है जिन्हें मेने शिक्षा दी है। शिक्षक जिन कक्षों में जानेसे कतराते है, मुझे उन्हीको पढ़ने में ज्यादा आनंद आता है। इस कोरोनाकाल में भी में बच्चोको अलग अलग बुलाकर पढ़ाती हूँ में समाजको यही सन्देश देना चाहती हु की हमारा समाज शिक्षा के क्षेत्रमें और आगे बढे लड़के लडकियों महिलऊओ को हर दृष्टिसे सहयोग मिले समाज विकास के चरमप रहै। उसका सम्मान हो

शिक्षा की दृस्टि से मारूपरिवार अग्रणीय है।
पारिवारिक परिचय
  • पति श्रीरामलाल सालवी
  • पुत्रश्री विनोद सालवी विवाह श्रीमतीममता सालवी (इंटलिखेडा ) पौत्री दर्शिका व् पौत्र माहिर
  • पुत्री श्रीमतीकृष्णा सालवी विवाह श्रीविद्यासागर (बस्सी)
  • पुत्री श्रीमतीसुमन सालवी विवाह श्रीकैलाश सालवी (झाड़ोल )
  • पुत्री श्रीमतीसुरभी सालवी विवाह श्रीनरेश सालवी (एकलिंगपुरा उदयपुर)

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